Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review
Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review

Swatantrya Veer Savarkar movie 2024 जानिए इस फिल्म को बनाने में रणदीप हुडा को कितनी कष्ट झेलना पड़ा..

Swatantrya Veer Savarkar movie 2024 : स्वातंत्र्य वीर सावरकर” एक आगामी हिंदी जीवनी ड्रामा फिल्म है जो भारत के स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित है। फिल्म का निर्देशन, सह-लेखन और सह-निर्माण रणदीप हुड्डा कर रहे हैं, जो फिल्म में स्वयं सावरकर की मुख्य भूमिका भी निभा रहे हैं। यह फिल्म 22 मार्च 2024 को भारत भर के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।

फिल्म सावरकर के जन्म से लेकर उनके निधन तक के सफर को चित्रित करेगी, जिसमें उनके क्रांतिकारी कार्यों, ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह, जेल यात्राओं और स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्षों को दिखाया जाएगा। दोस्तों बहुत सारे सोशल साइट पर यह भी खबर वायरल हो रही है कि इस फिल्म को बनाने के लिए बहुत सारी कठिनइयां का सामना करना पड़ा रणदीप हुडा ये भी सामने आया है की,सावरकर मूवी को पहले मराठी मानुष महेश मांजरेकर डायरेक्ट कर रहा था और ऐसी झोल वाला स्क्रिप्ट रखा था जिससे जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन शाह, भट्ट-खान गैंग वगैरह नाराज ना हो पाए ।

हुड्डा ने मूवी साइन करने के बाद सावरकर का पूरा इतिहास ए टू जेड पढ़ा । हुडा को मराठी मानुष मांजरेकर का दिया हुआ स्क्रिप्ट पसंद नही आयी। उसने कहा सावरकर को हम ऐसे फालतू पोट्रेट नही कर सकते । सबकुछ रियल होना चाहिए ।

मराठी मानुष मांजरेकर ने हुड्डा को बोला कि तब तू अपने अनुसार बना ले, मेरे को अपना हुक्का_पानी बंद नही कराना ।

मराठी मानुष मांजरेकर सेट छोड़ भाग गया । मांजरेकर को भागते देख मूवी का प्रोड्यूसर भी भाग गया ।

अब बच गया हरियाणवी छोरा भाई हुड्डा । उसने सावरकर का महीनो से बहुत गहराई से स्टडी किया हुआ था। उसने ठान लिया कि मैं ही इसे पूरा करूंगा । चाहे प्रोड्यूस करना हो, खुद ही डायरेक्शन से ले के एक्टिंग करना हो ।

हुड्डा के साथ पईसे की समस्या थी क्योंकि मूवीज में काम भी बहुत कम ही करता था । तो हरियाणा में अपने बाप के पास गया और कहा बापू सावरकर जी पर मुवी बनानी ही बनानी है पर प्रोड्यूसर भाग गया है, और इतना पईसा भी नही है ।

हुड्डा का बाप सुपर जाट । बोला, रे तैने ओखली में सर दे ही मारा है तो मूसल से क्या डरना ?

अगले दिन घर खेती बाड़ी के सारे कागज़ात मार्किट में दे के पईसे उठा लिया और हुड्डा को दे दिया कि जा बना ले सावरकर जी पर मूवी । ये फिल्म 22 मार्च को रिलीज हो रही है जिसमे रणदीप हुड्डा ने अभिनय के साथ ही उन्होंने लेखन, निर्देशन और सहनिर्माण भी किया है ।

देश के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर पर बनी इस फिल्म को जरूर जरूर देखें और अपनी नई पीढ़ी को भी दिखाएं ताओ देश इस अमर बलिदानी को जान सके जिसे एक परिवार ने गुमनामी में धकेल दिया ।।

दोस्तो अगर ये बात सच है तोये देश रणदीप हुड्डा का आभारी रहेगा । तो आइए दोस

Article Outline

B.Introduction to Randeep Hooda and his role as Veer Savarkar (रणदीप हुड्डा और वीर सावरकर के रूप में उनकी भूमिका )

रणदीप हुड्डा एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता हैं, जो अपने बहुमुखी अभिनय के लिए जाने जाते हैं। “स्वातंत्र्य वीर सावरकर” में, वह विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका निभा रहे हैं, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से भी जाना जाता है।

हुड्डा ने इस भूमिका के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया है। उन्होंने फिल्म के लिए 26 किलो वजन कम किया और सावरकर के लुक को अपनाने के लिए अपने बाल भी मुंडवा लिए। फिल्म में हुड्डा का अभिनय सावरकर के साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति को जीवंत करेगा।

C.Importance of the film in portraying the life and contributions of Veer Savarkar (वीर सावरकर के जीवन और योगदान को चित्रित करने के लिए फिल्म का महत्व)

वीर सावरकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने क्रांतिकारी विचारधारा को बढ़ावा दिया और ब्रिटिश राज के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का समर्थन किया। हालांकि, उनके जीवन और कार्यों को लेकर काफी विवाद भी रहे हैं।

“स्वातंत्र्य वीर सावरकर” फिल्म का उद्देश्य सावरकर के जीवन की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करना है। फिल्म उनके क्रांतिकारी कार्यों, जेल यात्राओं, विचारधारा और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को उजागर करेगी। यह फिल्म दर्शकों को सावरकर के जीवन से जुड़ने और उनके संघर्षों को समझने का एक मौका प्रदान करेगी।

Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review

चाहे आप सावरकर के विचारों से सहमत हों या असहमत, यह फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण अध्याय को दर्शाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह दर्शकों को इतिहास के बारे में जानने और अपना खुद का नजरिया बनाने का मौका देगी।

II. Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review

A. Background and early life of Veer Savarkar (वीर सावरकर की पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन)

वीर सावरकर, जिनका जन्म नाम विनायक दामोदर सावरकर है, का जन्म 1883 में महाराष्ट्र के नाशिक में हुआ था। वे एक शिक्षित मराठी परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता दामोदर गोपाल सावरकर एक सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे। बचपन से ही सावरकर पर राष्ट्रवाद का गहरा प्रभाव था। उन्होंने अंग्रेजों के शासन के खिलाफ माहौल को देखा और महसूस किया।

सावरकर ने अपनी शिक्षा पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से प्राप्त की। कॉलेज के दिनों में ही वे क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित हुए और उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाई।

B.His role in the Indian freedom struggle (भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका)

सावरकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक अग्रणी क्रांतिकारी व्यक्ति थे। उन्होंने “अभिनव भारत” नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश राज को उखाड़ फेंकना था। उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया और युवाओं को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के लिए प्रेरित किया।

सावरकर की क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उन्हें 1904 में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अंडमान सेलुलर जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उन्होंने जेल में अमानवीय यातनाएं सहीं, लेकिन अपना विद्रोही स्वभाव नहीं खोया।

सावरकर 11 साल जेल में रहे और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद भी वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे। उन्होंने हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया और स्वराज (स्वशासन) की मांग की।

C.Controversies Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review (वीर सावरकर की विचारधारा और कार्यों को लेकर विवाद और बहस)

वीर सावरकर एक विवादास्पद व्यक्ति हैं। उनके विचारों और कार्यों को लेकर भारतीय इतिहासकारों और विद्वानों के बीच काफी बहस होती रही है।

  • क्रांतिकारी गतिविधियाँ: सावरकर की क्रांतिकारी गतिविधियों की प्रशंसा की जाती है, लेकिन कुछ लोग उनकी हिंसक तरीकों की आलोचना करते हैं।
  • हिंदू राष्ट्रवाद: सावरकर हिंदू राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे। उनके विचारों को कई लोग सांप्रदायिक मानते हैं।
  • ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग: कुछ विद्वानों का मानना है कि सावरकर ने जेल से रिहाई के बाद ब्रिटिश सरकार के साथ कुछ हद तक सहयोग किया था।

ये कुछ मुद्दे हैं जिन पर बहस होती रहती है। “स्वातंत्र्य वीर सावरकर” फिल्म को लेकर भी यह आशा की जाती है कि इससे सावरकर के जीवन और कार्यों को समझने में मदद मिलेगी और दर्शक उनके बारे में अपना खुद का नजरिया बना सकेंगे।

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III. Casting Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review (रणदीप हुडा को वीर सावरकर के रूप में चुनना)

A. Randeep Hooda’s transformation for the role (रणदीप हुडा की भूमिका के लिए परिवर्तन)

  • वीर सावरकर के चरित्र को पोर्ट्रेट करने के लिए रणदीप हुडा ने एक अत्यधिक मेहनती और उत्साही तरीके से अपने आप को तैयार किया।
  • उन्होंने वीर सावरकर के रूप में अपने शारीरिक और आत्मिक रूप को पूरी तरह से बदल दिया, जिससे वह उनकी भूमिका के लिए उपयुक्त बन सकें।
  • रणदीप हुडा ने वीर सावरकर के चरित्र को जीने के लिए उनके विचारों, भावनाओं, और उनके जीवन के अनुभवों को समझने का प्रयास किया।

B. Challenges faced by Hooda in portraying such a complex character (हुडा को समझने में कठिनाईयाँ)

  • वीर सावरकर के जीवन में उनके विशेष संघर्षों, राजनीतिक विचारधारा और उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच विवादों को समझना हुडा के लिए चुनौतीपूर्ण रहा।
  • वीर सावरकर के विविध पहलुओं को समझकर, उनके चरित्र को सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक संदर्भ में सही तरीके से पोर्ट्रेट करना हुडा के लिए मुश्किल था।

C. Audience expectations and reactions to Hooda’s portrayal (दर्शकों की उम्मीदें और प्रतिक्रिया हुडा के पोर्ट्रेट को)

  • दर्शकों ने रणदीप हुडा की भूमिका को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए सराहा।
  • उनकी प्रतिभा और सावधानी से उन्होंने वीर सावरकर के व्यक्तित्व को वास्तविकता में लाने में सफलता प्राप्त की।
  • दर्शकों ने रणदीप हुडा के प्रदर्शन को अपनी उम्मीदों के मुताबिक प्रशंसा की और उनके प्रति समर्थन जताया।

IV. Filming and Production Swatantrya Veer Savarkar movie of Randeep Hooda Review (फिल्मिंग और उत्पादन)

A. Locations and sets used in the film (फिल्म में प्रयुक्त स्थान और सेट्स)

  • फिल्म “स्वतंत्र वीर सावरकर” के निर्माण में विभिन्न स्थानों का प्रयोग किया गया।
  • कुछ सीन वीर सावरकर के जन्मस्थल और उनके कार्यकाल के ऐतिहासिक स्थलों पर फिल्माए गए।
  • निर्माताओं ने वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न स्थानों पर उत्पादन किया, जो फिल्म को उस समय के वातावरण में ले गया।

B. Directorial approach and cinematic style (निर्देशकीय दृष्टिकोण और सिनेमाटिक शैली)

  • फिल्म के निर्देशक ने एक व्यावसायिक दृष्टिकोण और दर्शकों को संवादों और दृश्यों के माध्यम से कहानी को प्रस्तुत करने की कोशिश की।
  • सिनेमाटोग्राफी में भी उन्होंने विशेष ध्यान दिया, जिससे फिल्म का दृश्यांत और महसूस अद्यतन और प्रेरणादायक बना।
  • निर्देशक ने अपने सिनेमाटिक शैली में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उत्कृष्टता को प्रकट किया, जो दर्शकों को एक गहरे रूप में प्रभावित किया।

C. Behind-the-scenes insights (फिल्म के निर्माण के पीछे की कहानियाँ)

  • फिल्म की उत्पादन प्रक्रिया में निर्माताओं, निर्देशकों, और कलाकारों की मेहनत और समर्पण की कहानियों को प्रस्तुत किया गया।
  • बाधाएँ और चुनौतियाँ जिनका सामना किया गया, उत्पादन में समय-समय पर आए तकनीकी और साहित्यिक संदर्भों के साथ उत्पादन की गहराई में एक नज़र डाली गई।
  • फिल्म उत्पादन की कठिनाइयों और अद्वितीयताओं के पीछे की कहानियों को साझा करती है, जो दर्शकों को उत्पादन की वास्तविकता से परिचित कराती हैं।

IV. Filming and Production (फिल्मिंग और उत्पादन)

A. Locations and sets used in the film (फिल्म में प्रयोग की गई स्थान और सेट्स):
‘वीर सावरकर’ फिल्म की शूटिंग के लिए विभिन्न स्थानों और सेट्स का उपयोग किया गया। कुछ सीन वास्तुकला के स्थानों पर शूट किए गए, जैसे कि सावरकर के जन्मस्थल, उनके संग्रहालय, और उनके कार्यालय। इसके अलावा, कुछ दृश्यों को वास्तविक लोकेशन्स पर शूट किया गया, जो फिल्म के महत्वपूर्ण संदर्भों को और जीवंत बनाता है।

B. Directorial approach and cinematic style (निर्देशकीय दृष्टिकोण और सिनेमाटिक शैली):
फिल्म के निर्देशक ने अपने दृष्टिकोण और सिनेमाटिक शैली के माध्यम से ‘वीर सावरकर’ को वास्तविकता में अद्वितीय रूप से पेश किया। उन्होंने दर्शकों को सावरकर के जीवन की अनूठी कहानी को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया, जिसमें शॉट के विन्यास, चित्रण और छायाचित्रण शामिल हैं। वे अपने फिल्म को ऐसे तत्वों के साथ योजना बनाए जिन्हें दर्शकों को सावरकर के दृष्टिकोण से जोड़ा जा सकता है, जैसे कि उनके राष्ट्रवादी विचार, स्वतंत्रता संग्राम और उनके दृढ़ संकल्प।

C. Behind-the-scenes insights into the making of the movie (फिल्म के निर्माण में पीछे की जानकार):
‘वीर सावरकर’ फिल्म के निर्माण में एक अद्वितीय मेहनत और समर्पण का उल्लेखनीय योगदान रहा। दर्शकों को यहां तक की समय के तहत विशेषाधिकार और सेट के संगठन के बारे में जानकारी उपलब्ध है। निर्माता, निर्देशक, और कलाकारों की टीम ने उनकी वास्तविकता को जीवंत बनाने के लिए बड़ी मेहनत और तकनीकी चुनौतियों का सामना किया।

फिल्म की शूटिंग के दौरान, क्रू की टीम ने उम्रकैद करने और उन्हें असली महसूस कराने के लिए नैचुरल और वास्तविक वातावरण बनाने के लिए कई विभिन्न स्थानों पर शूटिंग की। इसके अलावा, फिल्म के निर्देशक ने विविधता और मानवीयता को ध्यान में रखकर कहानी को प्रस्तुत किया, जिससे दर्शकों को फिल्म में जुड़ने का मौका मिला।

V. Historical Accuracy and Interpretation (ऐतिहासिक सत्यता और व्याख्या)

A. Analysis of the film’s depiction of historical events (फिल्म में ऐतिहासिक घटनाओं की चित्रण का विश्लेषण):
‘वीर सावरकर’ फिल्म ने ऐतिहासिक घटनाओं को व्याख्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया है, लेकिन कुछ संघर्ष की प्रक्रिया और घटनाओं को व्याख्यात्मक तरीके से समझाने का प्रयास किया गया है। फिल्म में ऐतिहासिक परिस्थितियों की सटीकता का ध्यान रखा गया है, लेकिन कई समयों पर कथा में कुछ कट्टरता की अप्रत्याशित सांचों का उल्लेख है।

B. Accuracy of portrayal of Veer Savarkar’s life and actions (वीर सावरकर के जीवन और कार्यों की प्रतिष्ठा की सत्यता):
फिल्म ने वीर सावरकर के जीवन और कार्यों को संजीवनी देने का प्रयास किया है, लेकिन कुछ विवादित क्षेत्रों को छोड़ दिया गया है। उसकी संघर्षपूर्ण जीवनी के कुछ पहलुओं को प्रस्तुत करने में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि सावरकर के विचार और कार्यक्षेत्र विविध थे और उनके विरोधी उनके बारे में विभिन्न रूपों में दृष्टिकोण रखते हैं। इसलिए, फिल्म की प्रतिष्ठा और उनके कार्यों की सटीकता पर विचार किया जाना चाहिए।

C. Balancing artistic interpretation with historical authenticity (कलात्मक व्याख्या को ऐतिहासिक प्रामाणिकता के साथ संतुलित करना):
कलात्मक व्याख्या और ऐतिहासिक प्रामाणिकता को संतुलित करना फिल्म निर्देशक के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। फिल्म की कहानी को रोचक और रोमांचक बनाने के लिए कला के संदर्भ में कुछ स्थितियों का संशोधन किया जा सकता है, लेकिन यह ऐतिहासिक सत्यता को हानि पहुंचा सकता है। इसलिए, फिल्म निर्देशक को संवेदनशीलता और समय के अनुसारता के साथ काम करना होता है, ताकि उनकी कला का विश्वासी रूप से प्रस्तुतिकरण हो और उसकी ऐतिहासिक प्रामाणिकता पर कोई असर न पड़े।

VI. Impact and Reception (प्रभाव और प्रतिस्पर्धा)

A. Critical reception of the film by audiences and critics (दर्शकों और प्रमुख प्रशंसकों के द्वारा फिल्म का महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा):
‘वीर सावरकर’ फिल्म को लेकर दर्शकों और प्रमुख प्रशंसकों के बीच विपरीत प्रतिस्पर्धा है। कुछ लोग इसे एक उत्कृष्ट कला-सांस्कृतिक उपन्यास मानते हैं, जो सावरकर के जीवन और कार्य को समर्थन में आगे आता है। वे इसे ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानते हैं। हालांकि, कुछ लोग इसे संघर्षपूर्ण विषयों का उपयोग करके एक विवादास्पद करवाई या प्रोपैगेंडा के रूप में देखते हैं।

B. Discussion on the film’s success in capturing the essence of Veer Savarkar’s legacy(फिल्म में वीर सावरकर की विरासत की महत्वपूर्ण आत्मा को पकड़ने में सफलता की चर्चा):
‘वीर सावरकर’ फिल्म ने वीर सावरकर की विरासत की महत्वपूर्ण आत्मा को पकड़ने में आदर्श साबित होती है। फिल्म ने उनके राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को सामने लाया है और उनकी धार्मिक और राष्ट्रवादी विचारधारा को उत्कृष्टता से प्रस्तुत किया है। फिल्म ने उनके जीवन के महत्वपूर्ण पलों को उजागर किया है और दर्शकों को उनके संघर्षों और संघर्षों को समझने में मदद की है।

C. Sociopolitical implications and controversies surrounding the release of the film (सामाजिक-राजनीतिक निर्देशांकन और विवादों के बारे में):
‘वीर सावरकर’ फिल्म का प्रकाशन सामाजिक-राजनीतिक विवादों को उत्पन्न करता है। फिल्म के प्रकाशन के समय, कुछ समुदायों और राजनीतिक दलों ने इसे विवादास्पद और प्रोपैगेंडा के रूप में देखा। उन्हें लगता है कि फिल्म ने सावरकर को गलत रूप में प्रस्तुत किया है और उसके विचारों को समाज में विभाजन पैदा कर सकता है। इसके विपरीत, कुछ लोग फिल्म को एक महत्वपूर्ण कला-सांस्कृतिक योगदान के रूप में स्वागत करते हैं, जो भारतीय इतिहास के इस महत्वपूर्ण अध्याय को जीवंत करने में सहायक है।

VII. Conclusion (निष्कर्ष)

A. Summary of the significance of “Swatantrya Veer Savarkar” in Indian cinema (“स्वतंत्रता वीर सावरकर” का भारतीय सिनेमा में महत्व):
“स्वतंत्रता वीर सावरकर” भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फिल्म न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सिपाही की कहानी को प्रस्तुत करती है, बल्कि उसके विचारों, सोच, और संघर्ष को भी समर्थन करती है। यह फिल्म निर्देशकों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है, जो इतिहास की गहराईयों से प्रेरित होकर अपनी कला को जाने और समझे। इसके अलावा, यह फिल्म दर्शकों को वीर सावरकर के विचारों और दृष्टिकोण के प्रति जागरूक करती है और उन्हें उनके योगदान के प्रति समर्पित करती है।

B. Reflections on Randeep Hooda’s performance and its contribution to the portrayal of historical figures (रंदीप हुड्डा की प्रदर्शन की चिंतन और उसका योगदान ऐतिहासिक व्यक्तियों के प्रस्तुतिकरण में):
रंदीप हुड्डा का प्रदर्शन वीर सावरकर के चरित्र के प्रति उनकी गहन और शानदार समर्थन की ओर इशारा करता है। उन्होंने न केवल उनके भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को प्रस्तुत किया, बल्कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस महान योद्धा की भूमिका को भी वास्तविकता में जीवंत किया। उनका प्रदर्शन विशेषतः उन्हें सावरकर की जीवनी में उनके राष्ट्रवादी और धार्मिक पहलुओं को पेश करने में सफल रहा है।

C. Final thoughts on the lasting impact of Veer Savarkar’s story and its relevance in contemporary times. (वीर सावरकर की कहानी का शांतिपूर्ण प्रभाव और समकालीन समय में उसका महत्व):
वीर सावरकर की कहानी का शांतिपूर्ण प्रभाव और समकालीन समय में उसका महत्व अद्वितीय है। उनके संघर्ष, समर्पण और विचारधारा आज भी हमें प्रेरित करते हैं और हमें राष्ट्रभक्ति, सामाजिक न्याय, और स्वतंत्रता की महत्वाकांक्षा में प्रेरित करते हैं। उनकी कहानी आज भी भारतीय समाज में व्यापक रूप से महत्वपूर्ण है, और उसके उदाहरण हमें समकालीन समस्याओं का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार, “स्वतंत्रता वीर सावरकर” का महत्व और उसका प्रभाव न केवल सिनेमा में, बल्कि भारतीय समाज में भी अविनाशी है।

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